सच्चा मनफिराव केवल अपने पापों के लिए दुखी होना नहीं है, बल्कि अपने हृदय को पूरी तरह पाप से दूर करके परमेश्वर की ओर लौटना है। जब कोई व्यक्ति अपने पुराने जीवन और बुरी आदतों को छोड़कर परमेश्वर की ओर लौटता है, तो वह सच्चे मनफिराव का अनुभव करता है। यह केवल बाहरी बदलाव नहीं, बल्कि भीतरी परिवर्तन है, जिसमें हम अपने जीवन की दिशा बदलते हैं और परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलने का निश्चय करते हैं। [00:10]
यशायाह 55:7 "दुष्ट अपनी चाल छोड़ दे, और अधर्मी अपने विचार; और वह यहोवा की ओर फिरे, और वह उस पर दया करेगा, और हमारे परमेश्वर की ओर, क्योंकि वह बहुत क्षमा करने वाला है।" (ESV)
Reflection: क्या आपके जीवन में कोई ऐसी आदत या सोच है जिसे आप आज परमेश्वर के सामने पूरी तरह छोड़ सकते हैं?
Day 2: खोए हुए पुत्र की वापसी: परमेश्वर की क्षमा और प्रेम
खोए हुए पुत्र की कहानी हमें यह सिखाती है कि जब हम अपने पापों को पहचानकर परमेश्वर के पास लौटते हैं, तो वह हमें दंडित नहीं करता, बल्कि प्रेम से गले लगाता है और हमें नया जीवन देता है। परमेश्वर की क्षमा सीमाहीन है; वह हमें अपनाने के लिए हमेशा तैयार रहता है, चाहे हमने कितना भी भटकाव क्यों न किया हो। यह कहानी हमें आश्वस्त करती है कि सच्चे मन से लौटने पर परमेश्वर हमें फिर से अपना लेता है। [01:20]
लूका 15:20-24 "वह उठकर अपने पिता के पास चला गया। वह अभी दूर ही था कि उसके पिता ने उसे देख लिया, और तरस खाकर दौड़कर उसके गले लग गया और उसे चूमा। पुत्र ने उससे कहा, ‘पिता, मैंने स्वर्ग के विरुद्ध और आपके सामने पाप किया है; अब मैं इस योग्य नहीं कि आपका पुत्र कहलाऊँ।’ परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा, ‘सबसे अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहनाओ, उसके हाथ में अंगूठी और पैरों में जूती पहनाओ। और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो, और हम खाएँ और आनन्द करें; क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी उठा है; खो गया था, अब मिल गया है।’ और वे आनन्द करने लगे।" (ESV)
Reflection: क्या आप अपने जीवन के किसी क्षेत्र में परमेश्वर की क्षमा और प्रेम को स्वीकार करने से डर रहे हैं? आज उस डर को परमेश्वर के सामने रखें।
Day 3: मसीह में नया जीवन: पुरानी बातें जाती रहती हैं
जब कोई मसीह में होता है, तो वह नया सृष्टि बन जाता है; पुरानी बातें चली जाती हैं और सब कुछ नया हो जाता है। यह परिवर्तन केवल बाहरी नहीं, बल्कि भीतरी है, जिसमें परमेश्वर हमें पवित्र और नया बना देता है। हमारा अतीत मिट जाता है और हम उसके प्रेम में एक नया जीवन जीने लगते हैं। [01:50]
2 कुरिन्थियों 5:17 "इसलिए यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है; पुरानी बातें जाती रहीं; देखो, वे सब नई हो गई हैं।" (ESV)
Reflection: अपने जीवन के किस हिस्से को आप आज मसीह में नया बनने के लिए परमेश्वर को सौंप सकते हैं?
Day 4: अपने पापों को स्वीकार करना और परमेश्वर की क्षमा पर विश्वास
परमेश्वर चाहता है कि हम अपने पापों को स्वीकार करें और विश्वास करें कि वह हमें क्षमा करता है। जब हम अपने पापों को सच्चे मन से मान लेते हैं, तो परमेश्वर विश्वासयोग्य और धर्मी है कि वह हमें क्षमा करे और हमें सारी अधर्मता से शुद्ध करे। यह विश्वास हमें स्वतंत्रता और शांति देता है, क्योंकि हम जानते हैं कि परमेश्वर की क्षमा सच्ची और पूरी है। [02:58]
1 यूहन्ना 1:9 "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह विश्वासयोग्य और धर्मी है, कि हमारे पापों को क्षमा करे और हमें सब अधर्म से शुद्ध करे।" (ESV)
Reflection: क्या आज आप अपने किसी छुपे हुए पाप को परमेश्वर के सामने स्वीकार कर सकते हैं, और उसकी क्षमा पर पूरी तरह विश्वास कर सकते हैं?
Day 5: परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकार करना और आज्ञा का पालन
सच्चा मनफिराव केवल पाप से मुड़ना नहीं, बल्कि परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकार करना और उसकी आज्ञाओं पर चलना भी है। जब हम अपने पापों को पहचानते हैं, उनसे मुड़ते हैं, और परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकार करते हैं, तो हमें उसकी आज्ञाओं का पालन करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। यह आज्ञाकारिता हमारे मनफिराव की सच्चाई को दर्शाती है और हमें परमेश्वर के और निकट लाती है। [04:10]
यूहन्ना 14:15 "यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे।" (ESV)
Reflection: आज आप परमेश्वर की किस आज्ञा को अपने जीवन में लागू करने का एक ठोस कदम उठा सकते हैं?
Sermon Summary
सच्चा मनफिराप केवल अपने पापों के लिए दुखी होने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अपने पूरे हृदय से पाप से मुड़कर परमेश्वर की ओर लौटने की प्रक्रिया है। जब हम अपने जीवन में सच्चे मन से पश्चाताप करते हैं, तो परमेश्वर हमें न केवल क्षमा करता है, बल्कि हमें नया जीवन भी देता है। बाइबल में खोए हुए पुत्र की कहानी हमें यह सिखाती है कि चाहे हम कितनी भी दूर क्यों न चले जाएं, जब हम सच्चे मन से लौटते हैं, तो परमेश्वर हमें अपनाता है, हमें सम्मान देता है, और हमारे पुराने जीवन को मिटा देता है।
दूसरा कुरिन्थियों 5:17 के अनुसार, जब कोई मसीह में होता है, तो वह नया सृष्टि बन जाता है; पुरानी बातें चली जाती हैं और सब कुछ नया हो जाता है। यह केवल बाहरी बदलाव नहीं, बल्कि आंतरिक रूपांतरण है, जिसमें हमारा हृदय, सोच और जीवन की दिशा बदल जाती है। सच्चा मनफिराप तीन मुख्य चरणों में होता है: सबसे पहले, अपने पाप को पहचानना और स्वीकार करना; दूसरा, पाप से पूरी तरह मुड़कर परमेश्वर की ओर लौटना; और तीसरा, परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकार करना और उस पर विश्वास करना कि वह हमें क्षमा करता है।
जब हम अपने पापों को स्वीकार करते हैं और उन्हें परमेश्वर के सामने रखते हैं, तो वह विश्वासयोग्य और धर्मी है कि वह हमें क्षमा करे और हमें हर अधर्म से शुद्ध करे। यह क्षमा केवल एक बार की घटना नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें हम बार-बार परमेश्वर के पास लौटते हैं और उसके अनुग्रह को अनुभव करते हैं।
इसलिए, यदि आज आप अपने जीवन में सच्चा मनफिराप करना चाहते हैं, तो अपने पापों को पहचानें, उनसे मुड़ें, और परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकार करें। वह आपको क्षमा करेगा, नया जीवन देगा, और अपने प्रेम में आपको फिर से अपनाएगा।
Key Takeaways
1. सच्चा मनफिराप केवल पाप के लिए दुखी होना नहीं है, बल्कि अपने पूरे हृदय से पाप से मुड़कर परमेश्वर की ओर लौटना है। यह एक गहरा आंतरिक परिवर्तन है, जिसमें हम अपने पुराने जीवन को छोड़कर परमेश्वर के प्रेम और अनुग्रह को अपनाते हैं। [01:20][01:20]
2. खोए हुए पुत्र की कहानी हमें यह सिखाती है कि चाहे हम कितनी भी दूर क्यों न चले जाएं, परमेश्वर हमेशा हमें अपनाने के लिए तैयार रहता है। जब हम सच्चे मन से लौटते हैं, तो वह हमें सम्मान और नया जीवन देता है, हमारे अतीत को मिटा देता है। [01:20][01:20]
3. दूसरा कुरिन्थियों 5:17 के अनुसार, मसीह में आने पर हम पूरी तरह से नए बन जाते हैं। यह केवल बाहरी बदलाव नहीं, बल्कि हमारे हृदय, सोच और जीवन की दिशा का पूर्ण रूपांतरण है, जिसमें परमेश्वर हमें अपनी नई सृष्टि बनाता है। [02:58][02:58]
4. सच्चा मनफिराप तीन चरणों में होता है: अपने पाप को पहचानना, पाप से पूरी तरह मुड़ना, और परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकार करना। इन तीनों चरणों के बिना मनफिराप अधूरा है, और हर चरण में परमेश्वर की उपस्थिति और अनुग्रह की आवश्यकता है। [02:58][02:58]
5. परमेश्वर की क्षमा एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें हम बार-बार उसके पास लौट सकते हैं। जब हम अपने पापों को स्वीकार करते हैं, तो वह विश्वासयोग्य और धर्मी है कि वह हमें क्षमा करे और हमें हर अधर्म से शुद्ध करे, जिससे हम उसके प्रेम में नया जीवन पा सकते हैं। [02:58][02:58]
खोए हुए पुत्र की कहानी में पुत्र ने अपने जीवन में कौन-कौन से बदलाव किए जब वह अपने पिता के पास लौटा? ([01:20])
दूसरा कुरिन्थियों 5:17 के अनुसार, मसीह में आने पर हमारे जीवन में क्या-क्या नया होता है? ([02:58])
1 यूहन्ना 1:9 में परमेश्वर की क्षमा के बारे में क्या वादा किया गया है? ([02:58])
उपदेश के अनुसार, सच्चा मनफिराप केवल पाप के लिए दुखी होने से कैसे अलग है? ([00:45])
Interpretation Questions
खोए हुए पुत्र के पिता ने अपने पुत्र के लौटने पर उसे अपनाने और सम्मान देने में कैसी प्रतिक्रिया दिखाई? इससे परमेश्वर के स्वभाव के बारे में हमें क्या समझ आता है? ([01:20])
सच्चा मनफिराप तीन चरणों में होता है: पाप को पहचानना, पाप से मुड़ना, और परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकार करना। इन तीनों चरणों का हमारे जीवन में क्या महत्व है? ([02:30])
जब बाइबल कहती है कि मसीह में आने पर हम “नई सृष्टि” बन जाते हैं, तो इसका आंतरिक रूपांतरण से क्या संबंध है? ([02:10])
परमेश्वर की क्षमा को एक सतत प्रक्रिया क्यों कहा गया है? इसका हमारे रोज़मर्रा के जीवन में क्या अर्थ है? ([04:00])
Application Questions
क्या आपके जीवन में कोई ऐसा क्षेत्र है जहाँ आप केवल पाप के लिए दुखी होते हैं, लेकिन सच्चे मन से उससे मुड़ नहीं पाए हैं? आप उस क्षेत्र में सच्चा मनफिराप कैसे ला सकते हैं? ([00:45])
खोए हुए पुत्र की तरह, क्या कभी आपको लगा है कि आप परमेश्वर से बहुत दूर चले गए हैं? उस स्थिति में लौटने के लिए आपको कौन-से कदम उठाने चाहिए? ([01:20])
दूसरा कुरिन्थियों 5:17 के अनुसार, “नई सृष्टि” बनने का अनुभव आपके जीवन में कैसे हुआ है, या आप किस क्षेत्र में परमेश्वर से नया जीवन पाना चाहते हैं? ([02:10])
पाप को पहचानना और स्वीकार करना कभी-कभी कठिन होता है। आप अपने पापों को पहचानने और उन्हें परमेश्वर के सामने लाने के लिए क्या व्यावहारिक कदम उठा सकते हैं? ([03:20])
परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकार करना कई बार मुश्किल लगता है, खासकर जब हम खुद को क्षमा करने में असमर्थ होते हैं। ऐसे समय में आप परमेश्वर के अनुग्रह को कैसे स्वीकार कर सकते हैं? ([03:40])
क्या आपके जीवन में कोई ऐसा पाप है जिसे आप बार-बार दोहराते हैं? आप उस पाप से पूरी तरह मुड़ने के लिए क्या नया प्रयास करना चाहेंगे? ([04:00])
जब आप अपने पापों को स्वीकार करते हैं, तो क्या आप परमेश्वर की क्षमा और अपनापन महसूस करते हैं? यदि नहीं, तो आप इस अनुभव को पाने के लिए क्या बदलना चाहेंगे? ([04:20])
Sermon Clips
बहुत बार हम सूचते हैं कि मनफिराव का मतलब केवल अपने पापों के लिए दुखी होना है लेकिन सचा मनफिराव सिर्फ पशत आप नहीं बल्कि अपनेखردے کو پوری روپ سے پاپ سے دور کر کے پرمیشہ کی اور لوٹنا ہے۔ [00:00:00]
यशायाह के पुस्तक पचपन और सात वचन में लिखा है कि दुष्ट अपनी चाल छोड़ दे और यहोवा की ओर फिरे और वह उसे क्षमा करे। [00:00:00]
यह हमें सिखाता है कि जब हम सचे पर्मिश्व के पास लोगते हैं तो वह हमें शमा करता है और हमें फिर से अपना लेता है। [00:00:00]
जो हम सचे मन से मन फिराब करते हैं, तो परमिश्री में माफ कर देता है, और हमें नया जीवान देता है। [00:00:00]
बाइबल कहती है, दूसरा कुरंथी पांच और सत्रा में, इसलिए यदि कोई मस्य में है, तो है नए स्रिस्ट्राइब, पुराई बाते जाती रहें, देखो, वे सब नहीं होगें। [00:00:00]
इसका मतलब है कि जब हम करमिश्वेत की ओर मुखते हैं, तो वे हमें पवित्र और नया बना देता है, हमरा आतीद मिच जाता है, और हम उसके प्रेम में एक नया जिए बाता है। [00:00:00]
हमें मानना होगा कि हम ने पाप किया है और फिर पाप से पूरी तरह से मुड़ना है, हमें पाप से दूर होकर परमेश्वर की ओर लौटना है। [00:00:00]
तीसरी कंडीशन आती है परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकार करना, तो ही ने पाप दिया, इसके बाद हम पाप को पहचानें और पाप से मुड़ कर हम परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकार करें। [00:00:00]
जब हम मन फिर आप करते हैं तो हमें विश्वास करना होगा कि पर्मिश्यों ने हमें शमा करते हैं और वो धन्य है। [00:00:00]
यदि हम अपने पापो को मानें तो वह विश्वासयोग्य और धर्मी है कि हमारे पापों को क्षमा करे और हमें सारी अधर्मता से शुद्ध करे। [00:00:00]
हमारा परमेश्वर हमें पापों को माफ करने में धर्मी है, वह क्षमा करने में धर्मी है। [00:00:00]
इस बात को याद रखें कि जब आप सच्छे मन से उसके पास लोड़ते हैं और स्वीकार करते हैं, उसके अभी अपनी मूंह से निकाल करते हैं। [00:00:00]
अगर आप को बुराई कर रही है, उसको इनकार करें और ये तीन कंडीशन जो आपको पहचानना, आपको इनकार करें और परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकार करें। [00:00:00]
सच्चा मनफिराव केवल दुखी होना नहीं है, बल्कि अपने पूरे दिल से पाप से दूर होकर परमेश्वर की ओर लौटना है। [00:00:00]
जब हम अपने पापों को स्वीकार करते हैं और परमेश्वर के पास लौटते हैं, तो वह हमें क्षमा करता है और हमें नया जीवन देता है। [00:00:00]
परमेश्वर हमें पवित्र और नया बना देता है, हमारा अतीत मिट जाता है, और हम उसके प्रेम में एक नया जीवन पाते हैं। [00:00:00]
हमें अपने पापों को पहचानना और उनसे पूरी तरह से मुड़ना है, तभी हम परमेश्वर के अनुग्रह को पूरी तरह से अनुभव कर सकते हैं। [00:00:00]
यदि आप आज मनफिराव करना चाहते हैं, परमेश्वर के सामने आत्मसमर्पण करें, और उसके अनुग्रह को स्वीकार करें। [00:00:00]